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Mudhar pahad

मूड़हर पहाड़ रांची लोहरदगा मार्ग पर, बेड़ो से कुछ आगे, शान से खड़ा दिखता है। किसी ने बताया था कि इस पहाड़ का सर नहीं है इसलिए इसे मूड़हर पहाड़ कहा जाता है। वास्तव मे क्या कारण है इस नाम का वो पता नहीं। पहाड़ के शीर्ष पर एक गुफा मे मुड़हर बाबा कि पूजा होती है। स्थानिय लोग यहाँ शादियों के अनुष्ठान भी आयोजित करते हैं। इलाके के नवविवाहित जोड़े यहाँ आकार पूजा अवश्य करते हैं। पहाड़ पर चढ़ने के लिए अच्छी सीढ़ियाँ बनी हुई है।चोटी से आसपास का क्षेत्र बेहद सुंदर दिखता है।
इस जगह को खुखरागढ़ भी कहा जाता है। नागवंशी शासकों ने सूतियाम्बे के बाद चुटिया और फिर कालांतर मे इस खुखरागढ़ मे अपनी राजधानी बनाई। झारखंड सरकार के पुरातत्व विभाग ने आदरणीय डॉ. हरेन्द्र सिन्हा के नेतृत्व मे यहाँ उत्खनन कार्य किया जिससे तत्कालीन राजधानी के कई अवशेष, पुरानी दीवारें, मूर्तियाँ और मुद्राएं मिली। वर्तमान ये अवशेष नष्ट होने के कगार पर है।

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