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Navratan garh/ Doisagarh

नवरत्नगढ़ या डोईसागढ़ छोटानागपुर के नाग राजवंश की सबसे भव्य कृति है जो आज अपने भग्नावशेष के साथ अपने सुनहरे अतीत की याद दिलाता है। गुमला जिले के सिसई मे स्थित इस किले का निर्माण राजा दुर्जन शाल के के द्वारा 17 वीं शताब्दी मे किया गया। मुगल शासक जहांगीर के सिपहसालार इब्रहीम खान के द्वारा 1616 मे उन्हे गिरफ्तार कर ग्वालियर मे ले जाने के 12 साल बाद मुक्त किया गया। किंवदंती है कि इस मुक्ति में उनके “हीरे का पारखी होना” काम आया था। किले को पहाड़ों और जंगलों के बीच एक सुरक्षित स्थान मानकर बनाया गया। यहाँ मुख्य महल के साथ रानी महल, कचहरी, कई मंदिर, तालाब, जल संरक्षण की संरचनाएं आदि आज भी भग्न अवस्थ मे दिखेंगी। इस गढ़ को अभिशप्त भी कहा जाता रहा है। इस स्थान मे नागवंश अपनी राजधानी को ज़्यादा समय तक रख नहीं पाये। राजा दृपनाथ शाही के काल में इनकी राजधानी पालकोट स्थानांतरित हुई। इस स्थान से जुड़े कई किस्से कहानियाँ प्रचलित है जिनका जिक्र फिर कभी किया जाएगा।
हाल ही में इसे ASI के द्वारा अधिगृहीत कर खुदाई शुरू किया गया। इस खुदाई में कई और निर्माण, जो भूमिगत हो चुके थे, दिख रहे हैं। कई मूर्तियां आदि भी मिल रही हैं। आशा है कि जल्द ही हमें नवरत्नगढ़ के बारे में कई नए तथ्य मिलेंगे।
प्रस्तुत है चंद तस्वीरें।

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